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ईडी की जांच में खुलासा, क्रिप्टो की काली कमाई से जीरकपुर में खरीदे प्लॉट


ईडी की जांच में खुलासा, गैरकानूनी तरीके से बेचे दिए फ्रीज किए प्लॉट
आरोपियों व उनके रिश्तेदारों के बैंक खातों के जरिए ठिकाने लगाई फ्रॉड की राशि
2300 करोड़ रुपये के फर्जी क्रिप्टो घोटाले की जांच में नकदी व बैंक खाते फ्रीज
क्रिप्टो करंसी फ्रॉड के मामले में ईडी ने जांच तेज कर दी है। ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि पहले से जारी फ्रीजिंग आदेशों के बावजूद पंजाब के जीरकपुर में स्थित 15 प्लॉट गैरकानूनी तरीके से बेचे गए हैं। ईडी की जांच में पता चला है कि आरोपियों ने कई फर्जी टोकन बनाए, उनकी कीमतों में हेरफेर किया और धोखाधड़ी छिपाने के लिए प्लेटफॉर्म बार-बार बंद कर नए नाम से शुरू किए। ईडी की जांच में पता चला है कि आरोपियों ने नकद लेन-देन, शेल कंपनियों और आरोपियों व उनके रिश्तेदारों के बैंक खातों के जरिए अपराध से अर्जित धन को ठिकाने लगाया गया। कुछ एजेंटों ने निवेशकों को फंसाकर करोड़ों रुपये का कमीशन भी कमाया। ईडी की जांच में यह भी पाया गया कि निवेशकों को लुभाने के लिए विदेशी यात्राओं और प्रचार कार्यक्रमों का सहारा लिया गया। ईडी शिमला ने 13 दिसंबर 2025 को हिमाचल प्रदेश और पंजाब में स्थित आठ ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत एक बड़े फर्जी क्रिप्टो करेंसी आधारित पोंजी और मल्टी-लेवल मार्केटिंग घोटाले की जांच के सिलसिले में की गई। इस घोटाले में हिमाचल प्रदेश और पंजाब के लाखों निवेशकों से करीब 2300 करोड़ रुपये की ठगी की गई है।
ईडी ने यह जांच हिमाचल प्रदेश और पंजाब के विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज कई एफआईआर के आधार पर शुरू की। जांच में सामने आया है कि इस घोटाले का मुख्य आरोपी सुभाष शर्मा है,

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