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योगी सरकार नहीं होती तो सजा नहीं मिलती’: बहराइच हिंसा में मारे गए राम गोपाल मिश्रा के भाई बोले-


रामगोपाल मिश्रा के भाई हरिमिलन मिश्रा ने ऑपइंडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने कहा है कि योगी सरकार है तभी आरोपितों को सजा हो पाई है। वरना सपा सरकार होती तो हमें (हिंदुओं) को ही जेल में बंद कर दिया जाता। उन्होंने अवधी में बोलते हुए कहा, “योगी सरकार न होत भाजपा कै, तो इहो सजा कहाँ होई पावत। सपा के सरकार होत तो उल्टा हमहै सब बंद होए जात।”
हरिमिलन ने कहा कि 3 अन्य आरोपितों के बरी होने से उन्हें आगे चलकर दिक्कत हो सकती है, पता नहीं कैसे वो बरी हो गए।
हरिमिलन मिश्रा ने रामगोपाल मिश्रा के साथ हुई हैवानियत को भी बयाँ किया। उन्होंने बताया कि जब भाई का शव उन्हें मिला था, पोस्टमार्टम के बाद.. तब भी पैरों की उंगलियों से खून रिस रहा था। नाखून उखड़े हुए थे। चार्जशीट और कोर्ट के फैसले में भी यही बात है।
हरिमिलन मिश्रा ने योगी सरकार द्वारा की गई पैरवी पर संतुष्टि जताई। उन्होंने कहा कि अगर सपा सरकार होती, तो हम लोगों को ही जेल में सड़ा दिया जाता।
बता दें कि गुरुवार (11 दिसंबर 2025) को बहराइच की एक कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए 10 लोगों को दंगों का दोषी करार देकर सजा सुनाई। कोर्ट ने सरफराज को राम गोपाल मिश्रा की हत्या के अपराध में फाँसी की सजा दी है, जबकि बाकी 9 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इनमें सरफराज के अब्बा अब्दुल हमीद और उसके दो भाई फहीम और तालिब उर्फ सबलू भी शामिल हैं।
अन्य दोषियों में सैफ, जावेद, जीशान, ननकाउ, शोएब और मरुफ शामिल हैं। हालाँकि, पर्याप्त सबूतों के अभाव में तीन अन्य लोगों खुर्शीद, शकील और अफजल को बरी कर दिया गया। कोर्ट का यह फैसला अक्टूबर 2024 में हुई घटना के 14 महीने बाद आया है।
गौरतलब है कि यह घटना 13 अक्टूबर 2024 को बहराइच के रेहुआ मंसूर गाँव में दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान घटी। जब गाँव के मुस्लिमों ने विसर्जन में गाने पर विवाद शुरू किया, जो देखते ही देखते ही हिंसा में बदल गया। इस दौरान मुस्लिम भीड़ ने हिंदुओं पर पथराव किया, जिसमें कई घायल हुए। पत्थरबाजी में विसर्जन के लिए ले जाई जा रही दुर्गा पूजा की मूर्तियों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया। जवाबी हिंसा में हिंदुओं ने आसपास के घरों और दुकानों में भी तोड़फोड़ की।
हिंसा के दौरान राम गोपाल मिश्रा पर छत पर चढ़कर हरे झंडे को हटाने का आरोप लगाया गया था। इसी के चलते सरफराज उर्फ रिंकू ने राम गोपाल मिश्रा को गोली मार दी। इस मामले में पुलिस ने कुल 13 FIR दर्ज कराई, जिनमें से 11 हरदी पुलिस थाने और दो रामगाँव पुलिस थाने में दर्ज की गईं।
पुलिस ने घटना की जाँच के बाद मुख्य आरोपित समेत 13 लोगों को आरोपित बनाया। इनमें से 5 आरोपितों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई, जिनमें अब्दुल हमील, मोहम्मद तालिब उर्फ सबलू, मोहम्मद सरफराज अहमद उर्फ रिंकू, शकील अहमद उर्फ बबलू और खुर्शीद शामिल थे। बाद में बाकी 8 आरोपितों पर भी NSA लगाया गया।

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