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मिशन स्वावलंबन: सीडीओ की पहल से महिलाएं बनीं आत्मनिर्भरता की मिसाल


लखीमपुर खीरी, 25 जनवरी। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर लखीमपुर खीरी में सीडीओ अभिषेक कुमार द्वारा "मिशन स्वावलंबन" की प्रेरणादायक शुरुआत की गई। इस अनूठी पहल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके हुनर को नई पहचान दिलाना है। पहल के तहत ब्लॉक लखीमपुर की 40 महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं।

सुरक्षित और संगठित वर्किंग स्पेस का उद्घाटन
सीडीओ अभिषेक कुमार ने ग्राम पंचायत ओदराहना में "मिशन स्वावलंबन" के तहत एक वर्किंग स्पेस का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा, “यह पहल न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि इससे उनके आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिलेगा।” सीडीओ ने आगे बताया कि इस मिशन के तहत जिले के प्रत्येक ब्लॉक में चार-चार वर्किंग स्पेस स्थापित किए जाएंगे। ओदराहना से शुरू हुई इस पहल को जल्द ही अन्य ब्लॉकों में भी लागू किया जाएगा।

जर्जर भवन को बनाया गया वर्किंग स्पेस
ग्राम ओदराहना में एक जर्जर भवन को चिन्हित कर उसे वर्किंग स्पेस में तब्दील किया गया। भवन का जीर्णोद्धार कर इसे महिलाओं के लिए सुरक्षित और संगठित बनाया गया है। यहां 40 स्वयं सहायता समूह की महिलाएं संगठित रूप से काम करेंगी। इन्हें सिलाई-कढ़ाई की टूलकिट और प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जिससे वे अपने हुनर को स्वरोजगार में बदल सकें।

*महिलाओं के लिए नई राहें*
"मिशन स्वावलंबन" के तहत जिन महिलाओं को प्रशिक्षण और रोजगार के साधन उपलब्ध कराए गए हैं, वे अब अपने परिवार और समाज में आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम करेंगी। सीडीओ ने इस पहल को गणतंत्र दिवस की भावना से जोड़ते हुए कहा कि यह कदम लोकतांत्रिक और आर्थिक स्वतंत्रता के महत्व को दर्शाता है।

आर्थिक और सामाजिक बदलाव की पहल
मिशन स्वावलंबन के माध्यम से न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि उनकी पहचान और आत्मसम्मान भी बढ़ेगा। इस पहल से यह संदेश दिया गया है कि संगठित और प्रशिक्षित महिलाएं किसी भी क्षेत्र में असाधारण योगदान दे सकती हैं।

सीडीओ की इस पहल की ग्रामीण क्षेत्रों में सराहना हो रही है। यह प्रयास न केवल महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करता है, बल्कि उनके जीवन में आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का नया अध्याय भी जोड़ता है। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शुरू हुआ यह मिशन समाज में सकारात्मक बदलाव का प्रतीक बन गया है।

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