केंद्र सरकार 1968 के शत्रु संपत्ति कानून में बड़ा बदलाव करने की तैयारी कर रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बजट सत्र में ही सरकार विधेयक लाकर इस कानून में बदलाव कर सकती है। इन बदलावों के बाद शत्रु संपत्तियों का मालिकाना हक सीधे केंद्र सरकार के हाथ में आ जाएगा। इसके बाद इन संपत्तियों को इस्तेमाल जनहित के कार्यों में किया जा सकता है। बता दें कि अभिनेता सैफ अली खान की 15 हजार करोड़ की संपत्ति को भी 2015 में शत्रु संपत्ति के दायरे में लाया गया था। इस संपत्ति को बचाने के लिए नवाब परिवार ने हाई कोर्ट का रुख किया है।
क्या होती हे शत्रु संपत्ति
ऐसी संपत्ति जो कि किसी दुश्मन देश के नागरिक या फिर संगठन की हो उसे शत्रु संपत्ति की श्रेणी में रखा जाता है। 1965 में पाकिस्तान से हुए युद्ध के तीन साल बाद यह कानून बनाया गया था। कानून बनाना इसलिए जरूरी था ताकि जो लोग चीन या पाकिस्तान चले गए हैं वे दोबारा इन संपत्तियों पर दावा ना कर सकें। ऐसे में इन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया। 1968 के कानून के मुताबिक शत्रु संपत्ति का उपयोग संरक्षक ही करते थे। हालांकि इसे ना तो ट्रांसफर किया जा सकता था और ना ही उत्तराधिकार दिया जा सकता था।
2017 में भी किया गया बदलाव
2017 में इस कानून में संशोधन किया गया। इस संशोधन में शत्रु और शत्रु फर्म को व्यापकर रूप से बताया गया। अब जरूरी यह है कि उत्तराधिकार के नाम पर विवाद में सरकार की भूमिका स्पष्ट हो। दूसरा सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए नियम बनाए जाएं कि सरकार कब और कैसे इन्हें अपने अधिकार में ले सकती है।
2023 की रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में कुल 12611 शत्रु संपत्तियां हैं। इनमें से 12485 पाकिस्तानी नागरिकों की हैं और 126 चीनियों की हैं। इस साल कैबिनेट ने 3 हजार करोड़ से ज्यादा कीमत की शत्रु शेयरों को बेचने की अनुमति दे दी थी। 2020 में केंद्र की सरकार ने एक लाख करोड़ कीमत की संपत्तियों के निपटान के लिए एक निगरानी समूह बनाया था।
सरकार लखनऊ नगिर निगम से जुड़े एक मामले के बाद इस कानून में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। 2017 के संशोधन के बाद राजा महमूदाबाद की संपत्तियों का मालिकाना हक केंद्र सरकार के पास चला गया था। उत्तर प्रदेश में भी कई संपत्तियों पर सरकार ने अपना दावा कर दिया है। लखनऊ, हैदराबाद और मुंबई में ऐसी तमाम संपत्तियां हैं। राजा महमूदाबाद की संपत्ति महमूदाबाद हाउस और हजरतगंज में थी।
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