ताजा समाचार

20/recent/ticker-posts

कैसे मुस्लिम महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले आधी संपत्ति ही देता है शरिया कानून, SC में उठा सवाल


मुस्लिम परिवारों में संपत्ति के बंटवारे के लिए पर्सनल लॉ का पालन किया जाता है, लेकिन मंगलवार को इस कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठा है। अदालत में खुद को एक्स-मुस्लिम कहने वाली महिला सफिया पीएम का कहना है कि पर्सनल लॉ की बजाय यदि कोई मुसलमान सेकुलर प्रॉपर्टी लॉ का पालन करना चाहे तो उसे अनुमति मिलनी चाहिए। यही नहीं महिला ने संपत्ति के अधिकार में शरिया कानून के तहत महिलाओं से भेदभाव का भी आरोप लगाया है। महिला ने कहा कि शरिया कानून महिलाओं को पुरुषों की तुलना में आधी संपत्ति का ही अधिकार देता है, जो भेदभाव पूर्ण है। इसलिए यदि कोई मुस्लिम महिला चाहे तो उसे सेकुलर प्रॉपर्टी लॉ के तहत संपत्ति के बंटवारे का अधिकार मिलना चाहिए। महिला ने यह भी कहा कि भले ही उसने मुस्लिम परिवार में जन्म लिया है, लेकिन अब उसने मजहब छोड़ दिया है।

आइए जानते हैं, क्या है संपत्ति के बंटवारे पर मुस्लिम पर्सनल लॉ

मुस्लिम पर्सनल लॉ, 1937 कहता है कि महिला और पुरुष में संपत्ति के बंटवारे को लेकर कोई भेदभाव नहीं है। लेकिन तय नियम के अनुसार पूर्वज की मौत होने पर महिला को परिवार के पुरुष सदस्य के मुकाबले आधी संपत्ति ही मिलती है। यह ऐसे है कि यदि किसी परिवार में एक बेटा और एक बेटी हैं और पिता का देहांत हो जाता है तो फिर बेटे को जितनी संपत्ति मिलेगी, उसका आधा हिस्सा ही बेटी को मिलेगा। इसके अलावा पति की मौत होने पर विधवा मुस्लिम महिला को उसकी संपत्ति में से एक चौथाई हिस्सा ही मिलेगा और यदि बच्चे हैं तो फिर 8वां हिस्सा ही मिलेगा बाकी संपत्ति बेटे और बेटियों के बीच बंटेगी। लेकिन यदि किसी महिला का देहांत होता है और उसके नाम कोई संपत्ति होती है तो पति को आधी संपत्ति मिलेगी। और बच्चे होने की दशा में एक चौथाई संपत्ति पर ही अधिकार होगा।

क्यों मुस्लिम महिलाओं से भेदभाव की हो रही शिकायत

इन्हीं प्रावधानों को मुस्लिम महिलाओं का एक वर्ग भेदभाव पूर्ण मानता है। इसके पीछे दलील यह दी जाती है कि बेटी की शादी के पश्चात उसे मेहर मिलती है और पति उसका एवं बच्चों का खर्च उठाता है, लेकिन बेटे के साथ ऐसी स्थिति नहीं होती। इसलिए संपत्ति के बंटवारे में उसे अधिक का हिस्सेदार माना जाता है। वहीं हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम या फिर सेकुलर लॉ महिलाओं को भी संपत्ति में समान अधिकार की बात करता है। यही वजह है कि साफिया पीएम ने सुप्रीम कोर्ट में सेकुलर प्रॉपर्टी लॉ के पालन की मांग की है। उनका कहना है कि संपत्ति में हमें भी समान अधिकार मिलना चाहिए। वह चाहती हैं कि मेरी सारी संपत्ति बेटी को ट्रांसफर हो और बेटे को न मिले। इसके पीछे उनकी दलील है कि बेटा मनमौजी है और परिवार की कोई परवाह नहीं करता। वहीं बेटी उनकी चिंता करती है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा केस, जिससे छिड़ी बहस

दरअसल साफिया पीएम केरल की रहने वाली हैं। उन्होंने इस्लाम का त्याग कर दिया है और वह सेकुलर विचार को मानती हैं। उनका कहना है कि उसने आधिकारिक तौर पर इस्लाम नहीं छोड़ा है। मगर, वह इसमें विश्वास नहीं करती और अनुच्छेद 25 के तहत धर्म के अपने मौलिक अधिकार को लागू करना चाहती है। याचिका में कहा गया कि 'विश्वास न करने का अधिकार' भी शामिल होना चाहिए। उसने मांग रखी की कि जो व्यक्ति मुस्लिम पर्सनल लॉ से शासित नहीं होना चाहता, उसे देश के धर्मनिरपेक्ष कानून (भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925) से शासित होने की अनुमति दी जानी चाहिए।

Post a Comment

0 Comments