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हजारीबाग हिंसा: जहाँ महाशिवरात्रि पर हिंदुओं के 1 दिन के लाउडस्पीकर पर पथराव


झारखंड के हजारीबाग में महाशिवरात्रि के दिन पताका और लाउडस्पीकर लगाने पर कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा मदरसे से पथराव और आगजनी की गई थी। इस मामले में इचाक थाना ने 24 हिंदू और 21 मुस्लिम के खिलाफ नामजद और 200 अज्ञात पर FIR दर्ज की है। हिंसा के पीछे पुरानी वजह बताई जा रही है, जो गुंबद बनाने को लेकर है। वहीं, विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि मुस्लिम किसी से कमजोर नहीं है।
हजारीबाग पुलिस ने यह प्राथमिकी दारोगा मंगल उरांव के बयान पर दर्ज की है। इसमें षडयंत्र के तहत हथियार से लैस होकर पुलिस के कार्य में बाधा पहुँचाने, धार्मिक उन्माद फैलाने, संपत्ति को जलाने एवं क्षति पहुंचाने तथा विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न करने सहित कई आरोप लगाए गए हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि पीड़ित हिंदुओं को ही इस प्राथमिकी में सबसे अधिक 24 आरोपित बनाया गया है।
प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों में 25 वर्षीय शिवकुमार महतो उर्फ बुला, 23 वर्षीय अजीत महतो और अशरफ मियाँ शामिल हैं। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की है। इसके साथ ही इंटरनेट और ह्वाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया साइटों पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
घटना के बाद से ही इचाक थाना क्षेत्र के डुमरौन गाँव में सन्नाटा पसरा हुआ है। गाँव में युवक और वृद्ध दिखाई नहीं दे रहे हैं। वहीं, महिलाओं ने पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया है। महिलाओं का कहना है कि यह घटना एक स्कूल पर बनाए गए मीनार के कारण शिवरात्रि के दिन हिंदुओं पर हमला किया गया। महिलाओं का कहना है कि मीनार को लेकर भी पुलिस ने कार्रवाई नहीं की थी।

क्या है स्कूल पर मीनार बनाने का मामला?

लोगों का कहना है कि इस हिंसा की असली वजह मीनार ही है। अगर इस पर पहले ही कार्रवाई की जाती है तो यह हिंसा नहीं होती। दरअसल, डुमरौन में एक सरकारी स्कूल है। इस स्कूल में सिर्फ दो कमरे हैं। एक कमरा बड़े हॉल की तरह है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में इस स्कूल के मेन गेट पर मुस्लिमों ने रातों-रात मीनार बना दी। इस मीनार की ऊँचाई लगभग 35 फीट है।
इसके बाद 1976 में स्थापित इस स्कूल को मुस्लिम मस्जिद और मदरसे के रूप में इस्तेमाल करने लगे। स्कूल में एक बड़ा ग्राउंड भी है। लोगों का कहना है कि मुस्लिम यहाँ मदरसा संचालित करने लगे हैं। स्कूल के प्रभारी हेडमास्टर ने इस संबंध में 25 जनवरी को विभाग और संबंधित पदाधिकारी को लिखित शिकायत दी थी। गाँव के लगभग 128 लोगों ने इस मामले में प्रखंड से लेकर जिला तक शिकायत की थी।
शिकायत मिलने के बाद प्रशिक्षु IAS अधिकारी शताब्दी मजूमदार और तत्कालीन सीओ रामजी दास ने जाँच की थी। इस दौरान अधिकारियों ने गाँव के लोगों से बातचीत की थी। इसके बाद इसकी जाँच रिपोर्ट जिलाधिकारी भेजी गई थी। इसके बाद आज तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई। इस पर कोई भी अधिकारी बात करने को तैयार नहीं है। इस स्कूल में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लगभग 100 बच्चे पढ़ते हैं।

मुस्लिम कमजोर नहीं हैं: मंत्री इरफान अंसारी

झारखंड सरकार में मंत्री इरफान अंसारी ने इस हिंसा के लिए अप्रत्यक्ष रूप से हिंदुओं को ही दोषी ठहरा दिया। RSS और भाजपा के बहाने उन्होंने कहा कि हजारीबाग के आसपास के एरिया में RSS मानसिकता को लोग, असामाजिक तत्व, कट्टरवादी सोच के लोग, कट्टर विचारधारा के लोग युवाओं में नफरत का बीज बो रहे हैं। ये उसी सोच का साइड इफेक्ट है। इसका फायदा भाजपा को होगा।
इरफान अंसारी ने कहा, “वहाँ (डुमरौन गाँव के हिंदुस्तान चौक) पर जबरन झंड़ा लगाने की क्या जरूरत थी? किसी के गाँव में जाकर जबरन माइक लगाना चाहते थे। ये कौन-सा तरीका है? कहिएगा कि मस्जिद में लगा देंगे माइक। ऊपर से केस भी इन्हीं लोगों (मुस्लिम समुदाय) पर ही कीजिएगा। ये कौन सा तरीका है? वहाँ के मुस्लिमों को इन लोगों ने (हिंदुओं ने) कमजोर समझ लिया है।”
इरफान अंसारी के बयान को लेकर हजारीबाग से भाजपा सांसद मनीष जायसवाल ने कहा, “अगर इरफान अंसारी को देखना है कि कौन-सा समुदाय मजबूत है और कौन-सा कमजोर है तो सड़कों पर उतर कर देख लें। जनता बता देगी कि कौन मजबूत है और कौन कमजोर। झंडा और बाजा के ऊपर विवाद था।” भाजपा ने कहा कि झारखंड मुस्लिम तुष्टिकरण का प्रयोगशाला बन गया है।
हजारीबाग हिंसा और इरफान अंसारी का मामला झारखंड विधानसभा में भी उठा। भाजपा विधायक अमित यादव ने कहा कि मंत्री इरफान अंसारी ने हिंदुओं को लेकर आपत्तिजनक बात कही है। इसलिए अंसारी को माफी माँगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि के दिन पोल पर लाउडस्पीकर लगाया जा रहा था। इस दौरान एक समुदाय के लोगों ने पथराव कर दिया और बाइक और टैम्पो में आग लगा दी।
वहीं, केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री एवं राँची से सांसद संजय सेठ ने हिंसा के लिए बांग्लादेशी घुसपैठी मुस्लिमों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि होली हो या सरस्वती पूजा, रामनवमी हो या महाशिवरात्रि… ऐसी घटनाएँ झारखंड में ही क्यों होती हैं? उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए इसलिए हो रहा है, क्योंकि बांग्लादेशी घुसपैठिए यहाँ की जनसांख्यिकी बदल रहे हैं और सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट कर रहे हैं।
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता अजय साह ने कहा कि झारखंड में जेएमएम और कॉन्ग्रेस की नीति के कारण झारखंड में शुक्रवार को स्कूलों को जबरन बंद कराया जा रहा है। उन्होंने हेमंत सोरेन सरकार पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देने, स्लीपर सेल को राजनीतिक संरक्षण देने, जनजातीय लड़कियों के साथ लव जिहाद करने वालों को संरक्षण देने, आतंकी संगठनों के विस्तार और धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।

क्या हुआ था महाशिवरात्रि के दिन?

हजारीबाग के ईचाक थाना क्षेत्र के डुमरौन गाँव स्थित पीपरटोला में हिंदुस्तान चौक पर हिंदू समुदाय महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी को खंभों पर पताका और लाउडस्पीकर बाँध रहे थे। इसको लेकर मुस्लिमों ने विरोध किया। इसी बीच किसी ने इसकी जानकारी पुलिस को दे दी। जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुँची और दोनों पक्षों को समझाकर शांत करा दिया। ये तय हुआ कि शिवरात्रि के बाद लाउडस्पीकर खोल दिया जाएगा।
इसी बीच पास के मदरसे वाले स्कूल और आसपास के घरों से हिंदुओं पर पथराव कर दिया। इस पथराव में पुलिस कर्मी बाल-बाल बच गए। हालाँकि, 6 लोग बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बचाव में हिंदू पक्ष ने भी पथराव शुरू कर दिया। इस दौरान उपद्रवियों ने एक कार, 6 बाइक, 1 स्कूटी और 1 साइकिल को आग लगा दी। एक बाइक को कुँए में भी डाल दिया।
इस घटना से कुछ दिन पहले सड़क पर लगे खंभे पर हिंदू समुदाय के कुछ लोगों ने भगवा पताका फहरा दिया था। इसको लेकर मुस्लिम पक्ष ने हंगामा मचा दिया था। यह मामला भी थाने पहुँच गया था। ऐसे में जब पूरे सरकारी स्कूल को मस्जिद और मदरसे में बदल दिया गया हो और सिर्फ खंभे पर लाउडस्पीकर एवं पताका फहराने पर हंगामा समझ से परे हैं। सरकारी तुष्टिकरण ने भी आग में घी डालने का काम किया।


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