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भारतीय परिधानों में योग: संस्कृति और स्वास्थ्य का संगम - प्रिंस रंजन बरनवाल"


"स्वस्थ शरीर, सशक्त चेतना और समृद्ध संस्कृति – यही भारतीय योग परंपरा का मूल है - डॉ मालपानी"



2 फरवरी। लखीमपुर-खीरी 

योग रंजन फाउंडेशन के तत्वावधान में अटल बिहारी वाजपेई उद्यान में "भारतीय परिधानों में प्रज्ञायोग अभ्यास" कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। यह अनूठी पहल पारंपरिक भारतीय संस्कृति और योग साधना को एक नए रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास था, जिसमें महिलाओं ने साड़ी एवं पुरुषों ने धोती पहनकर योगाभ्यास किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. डी०एन० मालपानी पूर्व प्रधानाचार्य युवराज दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय एवं डॉ० ज्योति पंत अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष रहीं। 

मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में भारतीय परिधान और योग के बीच गहरे संबंध को रेखांकित किया साथ ही योगाभ्यास के महत्व को इंगित करते हुए शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य संवर्धन के विषय में जागरूक किया। 

कार्यक्रम में संस्थापक/अध्यक्ष एवं योगाचार्य प्रिंस रंजन बरनवाल द्वारा सूक्ष्म व्यायाम, योगासन, प्राणायाम, मुद्रा सहित प्रज्ञायोग का अभ्यास कराया गया। अंत में ध्यान का अभ्यास कराया गया, जिससे उपस्थित लोगों को शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हुए।

इस अवसर पर पंकज तापड़िया, प्रीति शुक्ला, नूपुर गुप्ता, राजदीपिका तिवारी, खुशी वर्मा, शिवानी राठौर, प्रतीक तिवारी, अमुलदीप तिवारी, शुभम सिंह चौहान, नीलिमा सिंह, वंदना वर्मा, मीत शिखा, ज्योति तिवारी, पूजा तापड़िया, शिवांगी बरनवाल, संगीता मौर्य, पंकज वर्मा, शशि वर्मा सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे और इस ऐतिहासिक पहल का हिस्सा बने।

कार्यक्रम का आयोजन योग रंजन योगाभ्यास केंद्र द्वारा किया गया, जबकि माहेश्वरी जी कलेक्शन और बरनवाल जी नीर सह-आयोजक रहे। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक भारतीय परिधानों में योग करने के महत्व को उजागर करना और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना था।

आयोजन के अंत में सभी प्रतिभागियों ने योग और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार की शपथ ली। यह कार्यक्रम न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सफल रहा, बल्कि भारतीय परंपराओं को पुनर्जीवित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ।


— योग रंजन फाउंडेशन"

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