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वेंदांता ग्रुप के संस्थापक प्रसिद्ध उद्योगपति श्री अनिल अग्रवाल जी इस महाकुंभ मे हुएअपने अनुभव के बारे में लिखते हैं


मुझे 144 सालों में एक बार होने वाले इस 
महाकुंभ में शामिल होने का मौक़ा मिला। 

वहाँ ज़बरदस्त जन सैलाब देखा! बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, लड़कियां…सभी बिना किसी भय के बस, चले जा रहे हैं
। 20-25 मील तक चलना एक असाधारण बात है। 

हर तरह के विचार इस उत्सव में आते रहे। हमारे पूर्वजों को सद्गति मिले, बच्चों को आशीर्वाद मिले, वे समृद्ध रहें जिससे अपने परिवार का भरण-पोषण बिना किसी रुकावट के कर पाएं। 

दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई उदाहरण नहीं कि इतनी भारी 
संख्या में लोग किसी आस्था के आयोजन में शामिल होते हों। 
इस जनसैलाब में मुझे नर में 
नारायण के दर्शन हुए।

मैं रात भर महाकुंभ में घूमा। रात 1 बजे, 2 बजे भी
 लोग बस चले ही जा रहे थे। भक्ति भाव, विश्वास लिए, 
कि इस स्नान से उनका, उनके बच्चों का जन्म सफल होगा। 
कुछ व्यक्तिगत कारणों की वजह से मैंने 3 दिनों की
 इस यात्रा को 1 दिन में पूरा किया। मुझे यह एहसास है कि
 मुझे इसका 10 गुना मूल्य समाज सेवा करके चुकाना होगा।

कुछ ऐसे दृश्य नज़र में आए जो मैं आजीवन नहीं भूल सकता। एक बूढ़ी औरत लकड़ी के सहारे बीसों मील चली जा रही है। एक गर्भवती महिला अपने बच्चे को गोद में लेकर उसी भीड़ का एक हिस्सा है। ये हमारे देश की महिलाओं की ताकत है। इन महिलाओं में मुझे दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती के साक्षात दर्शन हुए। 

उसी शाम, मैं कुछ यंग एंटरप्रेन्योर्स से भी मिला। उनसे मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने उनसे कहा कि हिन्दुस्तान में हर 
चीज़ की माँग बहुत तेज़ी से बढ़ रही है, आप बड़ा सोचिए। इस महाकुंभ के पवित्र स्नान से आपको शक्ति मिलेगी और आप अपना लक्ष्य प्राप्त करेंगे। 

उत्तर प्रदेश प्रशासन ने जिस तरह से इस महाकुंभ महापर्व की जिम्मेदारियों को संभाला, वह अद्वितीय है। इतने बड़े जनसमुदाय को संभालना कोई मामूली बात नहीं। मैं तहे दिल से उत्तर प्रदेश सरकार के सभी अफसरों और मैदानी कार्यकर्ताओं को बधाई देता हूं।

हर हर गंगे !!!

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अब आप स्वयं फैसला करें, ये C लोग जो सड़क से संसद तक महा कुंभ के आयोजन व्यवस्था आस्था और
श्रद्धालुओं पर जो अपनी घटिया मानसिकता का परिचय
दे रहे हैं वो कितना नीचता भरा कुकर्म पाप कर रहे हैं 📺

अरे भाई राजनीति करो न कौन मना कर रहा है तुमको
किन्तु करोडो लोगों की आस्था भावनाओं पर मत करो

मेरे माता पिता की भाँति ही 50 करोड़ से अधिक 
लोग अब तक आस्था की डुबकी लगा  चुके हैं।। 
 ये सिलसिला लगातार जारी है क्या ये लोग मुर्ख हैं?? 

तुम झंडू लोग ही ब्रह्मांड में ज्ञानी विद्वान हो??? 

महा कुंभ में दुनिया भर के शिक्षण संस्थानों से पढ़े उच्च 
शिक्षित लोग लगभग हर फील्ड के महारथी आये गए
अब भी आ रहे हैं, फ़कीर से अमीर आम से ख़ास तक
इनसे अधिक पढ़े लिखे हो,अमीर हो की क्या हो तुम??

                  
   आत्मचिंतन करना राजनीति करने के बजाय
   इसी मे आपका हमारा देश समाज का कल्याण है
 सत्य सनातन धर्म की जय हो ⛳


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