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अलीगढ़ में हिस्ट्रीशीटर खालिद और रफत अली की 3.17 करोड़ की संपत्ति कुर्क


अलीगढ़ : पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर खालिद हसन खान उर्फ पप्पू और उसके सहयोगी रफत अली की 3.17 करोड़ रुपये कीमत की संपत्ति कुर्क की गई. डीएम के अनुमोदन पर कुर्की का बैनर लगाया गया. माइक से अनाउंसमेंट भी की गई. हिस्ट्रीशीटर खालिद हसन खान उर्फ पप्पू पर 26 केस दर्ज हैं.
खालिद उर्फ पप्पू थाना सिविल लाइन क्षेत्र के बरगद हाउस के पास का रहने वाला है, जबकि रफत अली सर सैयद नगर का रहने वाला है. दोनों पर आरोप है कि उन्होंने बीते कई सालों से एक संगठित गैंग के रूप में षड्यंत्र के तहत हत्या, डकैती, हत्या का प्रयास, फर्जी दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी और जमीनों पर अवैध कब्जा जैसे गंभीर अपराध किए. इन्हीं आपराधिक गतिविधियों से अर्जित संपत्ति के आधार पर थाना क्वार्सी में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.
कार्रवाई के दौरान खालिद उर्फ पप्पू के सिविल लाइन क्षेत्र में स्थित एक प्लॉट, जिसकी अनुमानित कीमत करीब 50 लाख रुपये है. 130 वर्ग मीटर का दूसरा प्लॉट, जिसकी कीमत लगभग 85 लाख रुपये आंकी गई है को कुर्क किया गया. इसके अलावा खालिद की पत्नी माहनूर असरा के नाम पंजीकृत होंडा अमेज कार, जिसकी कीमत करीब 2 लाख रुपये है को भी जब्त की गई. वहीं, अभियुक्त रफत अली के 136 वर्ग मीटर के फ्लैट को कुर्क किया गया, जिसकी अनुमानित कीमत करीब 1 करोड़ 80 लाख रुपये बताई जा रही है.
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, सितंबर 2025 में भी खालिद उर्फ पप्पू और रफत अली की करीब सवा दो करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है. खालिद उर्फ पप्पू पर कुल 26 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जबकि रफत अली पर तीन मुकदमे दर्ज बताए गए हैं.
पुलिस क्षेत्राधिकारी सिविल लाइन सर्वम सिंह ने बताया कि गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराध से अर्जित करीब 3 करोड़ 17 लाख रुपये की संपत्ति को राज्यहित में कुर्क किया गया है, उन्होंने साफ कहा कि संगठित अपराध करने वालों के खिलाफ ऐसी कार्रवाइयां आगे भी जारी रहेंगी.
बता दें कि खालिद उर्फ पप्पू और उसका भाई मुजाहिद उर्फ गुड्डू सियासत में भी सक्रिय रहे हैं. मुजाहिद गुड्डू ने छर्रा विधानसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और बाद में समाजवादी पार्टी में शामिल हुआ. बसपा शासनकाल में दोनों भाइयों के बरगद हाउस स्थित आवास भी कुर्क किए गए थे, जिन्हें बाद में अदालत के आदेश पर रिलीज कर दिया गया था. रविवार को जिलाधिकारी के अनुमोदन के बाद कुर्क संपत्तियों पर बोर्ड लगाए गए, जो प्रशासन की सख्ती का साफ संकेत माने जा रहे हैं.

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